छड़ोल में ‘अखीं ते आई गए हंजू’

बिलासपुर — जिला भाषा विभाग के तत्त्वावधान में मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छड़ोल के प्राचार्य व कवि जीत राम सुमन की अध्यक्षता में किया गया। जिला भाषा अधिकारी डा. अनिता शर्मा के मंच संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में जिला भर से आए दर्जन भर कवियों ने जहां पुलिस की कार्यप्रणाली पर अपनी कविताओं के माध्यम से कटाक्ष किया, वहीं वसंत ऋतु के बारे में भी सुंदर व्याख्या की। कार्यक्रम का शुभारंभ कवि लश्करी राम ने अपनी पहाड़ी कविता में बूढे़ बैल के दर्द को बयां करते हुए कहा कि दरनी कढ़ोई बुड्डा बैल बोलदा सुनाकर वाहवाही बटोरी। अनुप सिंह मस्ताना ने नए अरमान नया उल्लास लेकर कविता सुनाई। अरुण डोगरा रितु ने चोहली शीर्षक की पहाड़ी कविता अखीं ते आई गए हंजू, दिल होई गया उदास सुनाकर व्यंग्य किया। रवि सांख्यान ने सारा दिन मैने खिड़की नहीं खोली, पेड़ों के पत्ते गिर रहे होंगे, हंसराज कपिल ने कल-कल नदियों वाला मेरा हिमाचल, प्रदीप गुप्ता ने कलयुगी बेटा शीर्षक की कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। इसके बाद मंच पर आए कुलदीप चंदेल ने पहाड़ी कविता जे घरे स्याणे नी हो ता घर-घर नी हूंदा सुनाई। नरैणू राम हितैषी ने बस यूं ही कट गया यह जिंदगी का सफर, न कोई संगी न साथी, रेखा जम्वाल ने हकीकत का फलसफा कविता सुनाई। डा. अनिता शर्मा ने सुनो पड़ोस की बुढि़या मर गई। जीतराम सुमन ने थी भयानक वो कितनी सोलह दिसंबर की काली रात, न जाने कितनी बदनसीब थी वह दामिनी जिंदगी की जिसकी टूट गई लड़ी कविता सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया। जिला भाषा अधिकारी ने बताया कि भाषा विभाग द्वारा जिला स्तरीय मासिक संगोष्ठी का आयोजन महीने के हर तीसरे रविवार को किया जाता है। संगोष्ठी में सभी साहित्यकार अपनी हाजिरी सुनिश्चित करें, ताकि विचारों का आदान-प्रदान हो सके।






source: DivyaHimachal

Full Story at: http://www.divyahimachal.com/himachal/bilaspur-news/%e0%a4%9b%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a5%8b%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%85%e0%a4%96%e0%a5%80%e0%a4%82-%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%86%e0%a4%88-%e0%a4%97%e0%a4%8f-%e0%a4%b9%e0%a4%82/

Post a Comment

Latest
Total Pageviews