धर्मशाला — स्टेट ओपन स्कूलों से पढ़ रहे फेलियर छात्रों को प्रैक्टिकल की परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी। प्रैक्टिकल परीक्षा न देने वाले छात्र संबंधित विषय में पास नहीं हो पाएंगे। प्राइवेट केपेसिटी से स्टेट ओपन स्कूलों में गए छात्रों और संबंधित स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं में प्रैक्टिकल परीक्षा देने या न देने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे छात्रों को प्रैक्टिकल परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी। इससे प्रैक्टिकल को लेकर बनी भ्रम की स्थिति भी साफ हो गई है। पूर्व में प्राइवेट छात्र के रूप में परीक्षा देने वाले छात्रों को शिक्षा के नए नियमों के तहत एसओएस केटागरी में परीक्षा देनी पड़ रही है। प्रदेश में शिक्षा बोर्ड ने ऐसे 86 स्कूल चयनित किए हैं, जहां ऐसे छात्र अपना पंजीकरण करवाकर पढ़ाई करते हैं। इस बार प्रदेश भर के विभिन्न परीक्षा केंद्रों में स्टेट ओपन स्कूलों से पढ़ने वाले करीब 26 हजार छात्र परीक्षा दे रहे हैं। इनमें से हजारों छात्र ऐसे हैं, जिन्हें प्रैक्टिकल परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी, तभी उनके प्रैक्टिकल के नंबर जुड़ पाएंगे। ऐसे छात्र साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स किसी भी संकाय से हों, उन्हें फेल होने पर दोबारा से प्रैक्टिकल की परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। उधर, प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की सचिव राखिल काहलों ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि फेलियर छात्रों को प्रैक्टिकल देना ही होगा। उन्होंने माना कि कुछ स्थानों पर छात्रों में भ्रम है, लेकिन उन्हें बिना किसी उलझन में फंसे प्रैक्टिकल देना होगा। शिक्षा बोर्ड ने कम्प्यूट्रीकरण की आधुनिकता के साथ एसओएस के दसवीं कक्षा के छात्रों को अलग से प्रैक्टिकल एडमिट कार्ड, प्रैक्टिकल विषयों की अंक तालिका प्रैक्टिकल परीक्षकों के लिए परीक्षा केंद्रों को भेज दी हैं।
source: DivyaHimachal
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