41 स्वास्थ्य केंद्र बिना डाक्टर


मंडी — आयुर्वेद विभाग मरीजों के दर्द पर प्राचीन पद्धति से मरहम लगाने में फिसड्डी साबित हो रहा है। जिला के 60 फीसदी आयुर्वेद केंद्रों में न तो आयुर्वेद के चिकित्सक हैं और न ही फार्मासिस्ट तैनात हैं। उक्त पदों से अधिकारियों की सेवानिवृत्ति और पदोन्नति के बाद तैनाती नहीं हुई है। वर्तमान में आलम यह है कि जिला के दूरदराज क्षेत्रों के आयुर्वेद केंद्रों में तैनात आयुर्वेद चिकित्सकों को खाली पड़े केंद्रों का भी काम देखना पड़ रहा है। ऐसे में सरकारी तंत्र के अतिरिक्त काम के बोझ तले दबकर चिकित्सक काम करने को विवश हैं। गौर रहे कि मंडी में 166 आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्र है, जिनमें वर्तमान में 41 आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्रों में न तो कोई आयुर्वेद चिकित्सक आज तक मुहैया हो पाया है और न ही 100 केंद्रों में किसी फार्मासिस्ट की नियुक्ति की गई है। मंडी जिला की जनता भी सरकार के आयुर्वेद के क्षेत्र में साबित किए जाने वाले प्राचीन पद्धति से चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने के दावे खोखले प्रतीत हो रहे हैं। जहां पर दूरदराज क्षेत्र के लोगों को ठंड भरे मौसम में बीमारी की गिरफ्त से दूर होने के लिए दवा का मरहम लगाने को निजी क्लीनिकों के सहारे काम चलाकर गुजारा करना पड़ रहा है। वहीं इसी माह के अंत में जिला आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी और जोगिंद्रनगर आयुर्वेद अस्पतालों में भी अधिकारियों की सेवानिवृत्ति होने के बाद उक्त पद भी रिक्त हो जाएंगे। वहीं विभाग के उच्चाधिकारियों के पास भी अन्य चिकित्सकों को अतिरिक्त कार्यभार का जिम्मा सौंपने के अलावा दूसरा विकल्प नजर नहीं आया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिरकार कब तक चिकित्सा के क्षेत्र में भी वैकल्पिक व्यवस्था के सहारे काम चला रहे हैं।







source: DivyaHimachal

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