ED के हाथ लगी बड़ी सफलता, छात्रवृत्ति घोटाले में जब्त की 6.25 करोड़ रुपये की संपत्ति

हिमाचल प्रदेश के 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी ने 6.25 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। इसमें मोहाली और शिमला में पांच आवासीय प्लाट और 14 बैंक खातों की राशि शामिल है। इसे अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के प्रविधानों के तहत राजदीप सिंह, कृष्ण कुमार और अन्य की संपत्ति जब्त की गई।

ईडी छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ शिमला की ओर से दर्ज एफआइआर के आधार पर जांच कर रही है। ईडी की जांच से पता चला कि राजदीप सिंह और कृष्ण कुमार ने मेसर्स एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप एंड स्किल डेवलपमेंट सोसायटी के माध्यम से जाली दस्तावेज पेश करके एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक योजना के तहत छात्रवृत्ति का दावा किया था।

इन दावों को अरविंद राजटा ने सत्यापित किया था, जो उच्च शिक्षा निदेशालय में तैनात था। ईडी ने 31 अगस्त को राजदीप सिंह और कृष्ण कुमार को गिरफ्तार किया था। हितेश गांधी, उपाध्यक्ष केसी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, पंडोगा और उच्च शिक्षा निदेशालय की छात्रवृत्ति शाखा के तत्कालीन अधिकारी अरविंद राजटा सहित चारों आरोपित न्यायिक हिरासत में हैं।

इससे पहले वर्ष, 2022 में 4.42 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। इस मामले में अब तक कुर्क की गई अपराध की कुल आय 10.67 करोड़ रुपये है।यह है मामला 2013 से 17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। 

इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में हुई है। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी राशि हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। थाना छोटा शिमला में 16 नवंबर, 2018 में शिक्षा विभाग की शिकायत पर पुलिस ने एफआइआर दर्ज की थी। फिर मामला सीबीआइ को दे दिया गया। सीबीआइ ने सात मई, 2019 को एफआइआर दर्ज कर मनी लांड्रिग के तहत कार्रवाई के लिए मामला ईडी को भेजा गया। ईडी ने 29 अगस्त को चार राज्यों में दबिश दी थी व 31 अगस्त को चार आरोपितों को गिरफ्तार किया था। 

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