इसके बाद ये आरोपी हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और सिरमौर की तरफ बढ़े। यहां इन आरोपियों ने पहले चुनिंदा लोगों को एजेंट बनाया। इसके बाद लोगों को निवेश करने का झांसा दिया। अब तक ढाई लाख लोगों के क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने का खुलासा हो चुका है। बाहरी राज्यों में भी इन आरोपियों ने लोगों को ठगा है। विभिन्न माध्यमों से 2300 करोड़ रुपये की ट्रांजेक्शन सामने आ चुकी है। आने वाले समय में यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। मामले में गिरफ्तारियां होने के बाद अब पता चल रहा है कि क्रिप्टो करेंसी के नाम पर हुई ठगी ने सैकड़ों लोगों की कमर तोड़कर रख दी है।
शातिर इस खेल में ग्रामीणों को अपनी धनराशि उनके नाम पर निवेश करके झांसे में लेते थे। शातिर आईडी बनाकर देते थे और फिर मोबाइल पर ही वेबसाइट में डॉलर और कॉइन दिखाकर रोजाना इनकी बढ़ोतरी दिखाते। इस पर ग्रामीण धनराशि लगाने के लिए खुद आगे आते। शातिर आईडी बनाने के नाम पर पहली किस्त की 37 हजार रुपये की धनराशि खुद ही भरने की हामी भरते और ग्रामीणों को खूब सपने दिखाते। इसी तरह यह ठगी का खेल चलता रहा। बाद में डॉलर और कॉइन सिर्फ वेबसाइट तक ही सीमित रहे और निवेश करने वालों के हाथ कुछ नहीं लग सका।
इंजीनियरों ने भी लगाया है पैसाआईएएस, आईएफएस और एचएएस के अलावा कई इंजीनियर भी इन ठगों के शिकार हुए हैं। विभिन्न विभागों के इंजीनियरों और ठेकेदारों ने भी पैसा डबल होने के चक्कर में निवेश किया है। अब ये लोग एजेंटों को फोन कर मूलधन की ही मांग कर रहे हैं। कइयों ने जिदंगीभर की कमाई लगा दी क्रिप्टोकरेंसी में- मंडी, कांगड़ा में कई लोगों ने जिंदगीभर की कमाई क्रिप्टोकरेंसी में लगा दी है। पुलिस एसआईटी की मानना है कि कई लोगों ने पैसा डबल होने के चक्कर में बैंकों से लोन तक लिए हैं।
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