इम्तिहान देने वालों के कदम चूमती है कामयाबी

दिव्यांग होने के बाद भी सब-जज बनीं इंदौरा की प्रियंका ठाकुर

शिमला –अगर मेहनत व लगन हो तो दिव्यागंता भी रास्ते में रोड़ा नहीं बनती। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून में पीएचडी कर रही प्रियंका ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के लिए चयनित होकर इतिहास रच दिया है। उनकी नियुक्ति बतौर सब जज होगी। बता दें कि प्रियंका की शारीरिक विकलांगता 54 फीसदी है। प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने प्रियंका को बधाई देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कार्यकारिणी परिषद ईसी के सदस्य और विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही में राज्य न्यायिक सेवा परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। प्रियंका ने एलएलएम की परीक्षा विश्वविद्यालय परिसर से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करके पीएचडी में दाखिला लिया है। कांगड़ा के इंदौरा तहसील के बडाला की रहने वाली प्रियंका के पिता सुरजीत सिंह बीएसएफ  में इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए हैं और माता सृष्टा देवी गृहिणी हैं। उमंग फाउंडेशन से जुड़ी प्रियंका का कहना है कि यदि दृढ़ निश्चय हो, तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है। उन्होंने कहा कि अकसर बेटियों और दिव्यांगों को कमजोर मानकर उनकी उपेक्षा कर दी जाती है। यदि उन्हें परिवार समाज और शिक्षकों से सहयोग मिले, तो बेटियां किसी भी मुकाम तक पहुंच सकती हैं।

नालागढ़ के शाविक-दिव्या सिविल जज

नालागढ़ –हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा-2019 में प्रदेश के दस उम्मीदवारों सहित नालागढ़ के दो होनहारों का भी चयन हुआ है। नालागढ़ निवासी शाविक घई व दिव्या शर्मा के सिविल जज बनने पर क्षेत्र में खुशी का माहौल है। नालागढ़ के वार्ड नंबर-4 की निवासी दिव्या शर्मा पुत्री एचआर शर्मा सूची में तीसरे स्थान पर व शाविक घई पुत्र नरेश घई ने सूची में चौथा स्थान हासिल किया है। हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित न्यायिक परीक्षा के घाषित हुए परिणाम में दिव्या का चयन सिविल जज के रूप में हुआ है। दिव्या शर्मा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई अधिवक्ता अभिमन्यु शर्मा को दिया। उनके पिता वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर शर्मा व माता निर्मला शर्मा गृहिणी हैं। उन्होंने कहा कि वह रोजाना छह से सात घंटे पढ़ाई करती थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने एडीए के लिए भी साक्षात्कार दिया था और पांचवीं बार उन्हें न्यायिक परीक्षा में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में यह चौथा प्रयास था, जिसमें उन्हें सफलता हासिल हुई है। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता सेवानिवृत संयुक्त निदेशक अभियोजन नरेश घई व माता प्रधानाचार्य संगीता घई, स्कूल व विवि के अध्यापकों सहित अपने मुश्किल दौर में काम आए दोस्तों को दिया है।

कड़ी मेहनत कर हासिल किया मुकाम

सुंदरनगर –हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की घोषित हिमाचल जुडिशियल सर्विस के परिणाम में सुंदरनगर की बेटी कुमारी रितु परीक्षा पास कर सिविल जज बन गई हैं। सुंदरनगर के घाडा, चतरोखड़ी से ताल्लुक रखने वाली कुमारी रितु अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्य तय हो तो निरंतर मेहनत से सफलता अवश्य मिलती है। रितु के पिता प्रेम चंद प्रेमी पंजाब नेशनल बैंक में उच्च अधिकारी थे और माता रोशनी देवी गृहिणी हैं। बेटी की इस सफलता पर इनके घर और सुंदरनगर में खुशी की लहर है।

श्रुति को तीसरे प्रयास में सफलता

आनी –जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं। इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है निरमंड क्षेत्र के अरसू गांव की श्रुति बंसल ने। कुल्लू जिला की निरमंड तहसील के अरसु गांव की श्रुति बंसल ने हिमाचल लोक सेवा आयोग द्वारा न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके सिविल जज बनने का गौरव हासिल किया है। निरमंड के अरसू में भाजपा नेता सोहन लाल बंसल और गृहिणी कांता देवी के घर जन्मी श्रुति बचपन से ही पढ़ाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी दिलचस्पी दिखाती थी। अपने तीसरे प्रयास में श्रुति ने सिविल जज बनकर क्षेत्र का नाम गर्व से ऊंचा करके एक मिसाल पेश की है। आनी विधानसभा के विधायक किशोरी लाल सागर ने सोहन लाल बंसल के घर जाकर बेटी को लड्डू खिलाकर बधाई दी। श्रुति बंसल पति न्यायिक सेवाओं में सहायक जिला न्यायवादी प्रशांत सिंह ने श्रुति बंसल को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है। 

अनुलेखा की सफलता से चहका कुनिहार

कुनिहार(सोलन) –कुनिहार विकास खंड की ग्राम पंचायत कोठी के गांव नमोल की होनहार बेटी ने सिविल जज की परीक्षा पास करके पूरे इलाके का नाम रोशन किया है।  अनुलेखा के पिता अशोक तनवर सोलन में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा माता मीना तनवर गृहिणी हैं। उन्होंने सोलन से जमा दो कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से बीएससी व लॉ की डिग्री हासिल की। अनुलेखा के दादा स्व. मनोहर लाल भी वन विभाग से राजपत्रित ऑफिसर सेवानिवृत्त हुए थे। अनुलेखा की इस पद पर नियुक्ति से पूरे क्षेत्र में खुशी व्याप्त है।

 

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