शिमला – कभी मंत्रियों की पसंद के चलते ली गई करोड़ों रुपए की कैमरी गाडि़यां आज सरकार के काम नहीं आ रही हैं। इनकी मेंटेनेंस को लेकर सरकार का जीएडी विभाग फंस गया है और चाहता है कि यह आफत उससे दूर हो जाए। किसी भी तरह से जीएडी विभाग इस गले की फांस को दूर करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार इसकी मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है। यहां पर मरम्मत करवाने का कोई जरिया नहीं है। लिहाजा इन गाडि़यों को यहां से बाहर भेजना पड़ता है। इतना ही नहीं, इनका साइड मिरर तक टूट जाए तो वह भी हजारों रुपए में पड़़ता है। महंगे सामान का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। सबसे अहम बात यह है कि यहां की छोटी सड़कों पर इन गाडि़यों को चलाना मुश्किल हो रहा है। सरकार के चालक इससे इनकार करते हैं और इसमें किसी तरह का जोखिम नहीं उठाते, क्योंकि कहीं कुछ हो जाए तो वह भुगतान करने में असमर्थ हैं। चालकों द्वारा इन गाडि़यों को चलाने से हाथ खींच लिए जाने के बाद अब सामान्य प्रशासन एवं सचिवालय प्रशासन विभाग को सोचने को मजबूर होना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार बुधवार को टोयटा कंपनी के अधिकारियों के साथ कैमरी गाड़ी को लेकर चर्चा की गई है। सरकार की ओर से प्रस्ताव दिया गया है कि कंपनी इन वाहनों को वापस ले ले और बताए कि वह इसकी कितनी कीमत देगी। इसमें सरकार दूसरी कोई गाड़ी लेने का प्रस्ताव भी कर सकती है, जो कि कैमरी जैसी न हो, मगर सरकार को चलाने में आसान हो। कांग्रेस सरकार ने कुछ मंत्रियों ने कैमरी गाड़ी का शौक पाला था जिनका शौक तो खत्म हो गया, लेकिन अब किसी भी मंत्री ने वो गाडि़यां नहीं लीं। इन गाडि़यों को शिमला में भी चलाना मुश्किल है। अब अधिकारियों को यह वाहन दिए गए हैं लेकिन उनके चालकों ने भी इससे तौबा कर दी है। महंगी मेंटेनेंस और वह भी यहां नहीं होना एक बड़ा कारण है कि अब कैमरी वाकई में सिरदर्द है। ऐसे में सरकार किसी भी तरह से इन्हें कंपनी को देकर छुटकारा पाना चाहती है।
35 से 37 लाख कीमत
मंत्रियों के साथ सरकार ने तब छह कैमरी गाडि़यां खरीदी थीं। इनमें एक की कीमत 35 से 37 लाख रुपए है। एक के बाद फिर दूसरे मंत्रियों ने भी इसी गाड़़ी की डिमांड की, लेकिन बाद में उनको भी इसमें सफर करने में दिक्कत आई।
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Courtsey: Divya Himachal
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