प्राकृतिक खेती से उगाए गए प्रोडक्ट की बढ़ती मांग पर फैसला
शिमला – प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है। जीरो बजट खेती से उगाए जाने वाले प्रोडक्ट की मांग को देखते हुए सरकार सभी जिलों में बिक्री केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। हालांकि शुरुआती दौर में शिमला के बाद मंडी व ऊना में खोलने का ऐलान किया है। दरअसल बुधवार को हिमाचल प्रदेश सचिवालय में प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बिक्री के लिए खोले गए केंद्र की सफलता को देखते हुए, कृषि विभाग मंडी और ऊना जिला में भी इस तरह के बिक्री केंद्र खोलने पर विचार कर रहा है। कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने शिमला में कहा कि राज्य सचिवालय में खोला गया। बिक्री केंद्र सप्ताह में दो दिन कार्य कर रहा है और ग्राहकों की मांग के अनुसार भविष्य में इसे ज्यादा दिनों तक खोलने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला बिलासपुर के ओहर तथा जिला चंबा में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के साप्ताहिक बिक्री केंद्र पहले ही कार्य कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य कृषि लागत को कम कर कृषि को लाभदायक बनाना व विविध प्रकार के कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से भूमि उपजाऊ बनती है, पर्यावरण सुरक्षित रहता है तथा किसानों की आर्थिकी में भी सुधार आता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है,और इस दिशा में कृषि विभाग द्वारा किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत इस वर्ष 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है और अभी तक 20 हजार किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इनमें से 15 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती आरंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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Courtsey: Divya Himachal
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