मंडी – दुग्ध उत्पादों, अन्य खाद्य पदार्थों तथा पशु आहारों में मैलामाइन की मिलावट रोकने के बारे में सांसद रामस्वरूप शर्मा ने शून्यकाल में लोकसभा में मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मैलामाइन को 1830 में जर्मन वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया। यह एक सफेद रंग का पाउडर होता है, जिसका उपयोग प्लास्टिक उद्योग में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने व टाइलें बनाने में भी किया जाता है। मैलामाइन एक धीमा जहर है। इसकी मिलावट दूध, दुग्ध उत्पादों तथा अन्य खाद्य पदार्थों, जिसमें पशु आहार भी शामिल है, में किया जाता है। 2008 में चीन में मैलामाइन युक्त दूध के उपयोग से हजारों बच्चे बीमार हो गए थे। लिहाजा वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन व फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन आफ दि यूनाइटेड नेशन जैसी संस्थाओं द्वारा भी खाद्य पदार्थों में मैलामाइन की मिलावट को पूर्णतः प्रतिबंधित कर रखा है, लेकिन दुर्भाग्यवश भारत में ऐसा नहीं है। भविष्य में मैलामाइन की मिलावट को रोकने हेतु एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मात्रा को पूर्णतः समाप्त किया जाए, ताकि देश के बच्चों व पशुधन को नुकसान से बचाया जा सके।
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Courtsey: Divya Himachal
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