अग्नि प्रबंधन मजबूती को विश्व बैंक की रिपोर्ट जारी करने के लिए शिमला में कार्यशाला
शिमला —वनों में आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए स्थानीय लोगों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है और उनके सहयोग के बिना ऐसी घटनाओं से निपटना संभव नहीं है। यह बात वन, पर्यावरण, परिवहन व खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को यहां वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर विश्व बैंक की रिपोर्ट जारी करने के लिए आयोजित क्षेत्र स्तरीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यशाला में उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विश्व बैंक की टीम व भारतीय सर्वेक्षण संस्थान देहरादून के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वन मंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में आगजनी की घटनाएं लगभग एक सी हैं और इनसे निपटने के लिए अलग-अलग प्रदेशों ने जो तंत्र विकसित किए हैं, उनमें से प्रभावी रणनीति को आपसी तालमेल से दूसरे प्रदेशों को भी अपनाना चाहिए। वनों में आग से निपटने के लिए बेशक कागजों में बहुत कुछ प्रगति दिखती है, लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों को व्यावहारिक तौर पर कार्रवाई दिखाना आवश्यक है और इसके लिए समुदाय तैयार करने पड़ेंगे, तभी रणनीति परिणामोन्मुखी होगी। उन्होंने इस अवसर पर भारत में वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर विश्व बैंक की क्षेत्रीय रिपोर्ट भी जारी की। विश्व बैंक दल में वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ पियूष डोगरा तथा अर्थशास्त्री उर्वशी नारायण ने इस अवसर पर विश्व बैंक द्वारा भारत में वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर तैयार की गई रिपोर्ट की संस्तुतियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। मुख्य प्रधान वन अरण्यपाल अजय शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वनों पर वॉल्टिक दबाव बहुत बड़ी चुनौती है और वन आवरण में वृद्धि के साथ-साथ मौजूदा वन संपदा का संरक्षण बहुत जरूरी है। इस वर्ष कैंपा के तहत आग नियंत्रण के लिए 1.50 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान है। विश्व बैंक की रिपोर्ट की संस्तुतियों पर प्रभावी ढंग से कार्य किया जाएगा।
फोर्स से संतुष्ट नहीं
आगजनी की अधिक घटनाएं 15 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई की बीच होती हैं और इसके लिए हर तरह की रणनीति अभी से तैयार की जानी चाहिए। इस वर्ष राज्य में रैपिड रिस्पांस फोर्स का गठन किया गया और प्रदेश भर में 13500 लोगों ने इसमें पंजीकरण करवाया। राज्य में वन विभाग का इतना बड़ा नेटवर्क है और वह इस फोर्स से संतुष्ट नहीं है। इसमें कम से कम 50000 से अधिक लोगों का पंजीकरण होना चाहिए। वनों में आग की घटनाएं चिंता की बात है और यह बड़ा पाप भी है।
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Courtsey: Divya Himachal
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