हाई कोर्ट के निर्देश; चतुर्थ श्रेणी हो या क्लास वन, समय से पहले तबादला सही नहीं
शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि राज्य सरकार को कर्मचारियों के तबादले करते समय समानता अपनानी चाहिए, वह चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी हो या फिर प्रथम श्रेणी कर्मचारी। मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थी रतन चंद द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए अपने आदेशों में कहा कि प्रथम श्रेणी के कर्मचारी को भी निर्धारित कार्यकाल से पहले नहीं बदला जाना चाहिए। खंडपीठ ने सचिव शिक्षा के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत प्रार्थी के प्रतिवेदन को ख़ारिज करते हुए हवाला दिया गया था कि प्रार्थी प्रथम श्रेणी कर्मचारी है और इसका तबादला प्रशासनिक आधार पर राज्य के किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि सचिव (शिक्षा) द्वारा पारित आदेश समानता के सिद्धांतों के खिलाफ है। राजपत्रित अधिकारी को स्थानांतरण करने की शक्ति अलग बात है और किस तरीके से इस शक्ति का प्रयोग किया जाता है वह बिल्कुल अलग है। प्रत्येक अधिकारी, चाहे चुतुर्थ श्रेणी हो या प्रथम श्रेणी, सभी को तीन साल का सामान्य कार्यकाल पूरा करने दिया जाना चाहिय जब तक प्रशासनिक आधार, अनिवार्यता या सार्वजनिक हित की मांग का उल्लेख न किया गया हो। मामले के अनुसार सितम्बर 2017 में प्रार्थी का तबादला वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आलमपुर (कांगड़ा) बतौर प्रधानाचार्य किया गया था और 24 मई 2018 को प्रार्थी का फिर से आनी तबादला किया गया। पार्थी ने इन तबादला आदेशों के खिलाफ प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनौती दी। ट्रिब्यूनल ने प्रार्थी को आदेश दिए कि वह सचिव शिक्षा के समक्ष अपना प्रतिवेदन दायर करे लेकिन सचिव शिक्षा ने प्रार्थी का प्रतिवेदन यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि प्रार्थी प्रथम श्रेणी कर्मचारी है। इसका तबादला प्रशासनिक आधार पर राज्य के किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। इस निर्णय को प्रार्थी ने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी। हाई कोर्ट ने सचिव (शिक्षा) को आदेश दिए कि वह दोबारा से प्रार्थी के प्रतिवेदन विचार करे और प्रार्थी को सहानुभूतिपूर्वक जिला कंगड़ा या अपने घर के शहर के पास रिक्त पद पर समायोजित करे। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि, याचिकाकर्ता को ऐसी जगह पर पोस्ट करने की आवश्यकता है, जहाँ पर पहले से दूसरा अधिकारी कार्यरत है तो उस स्थिति में दूसरे अधिकारी का कम समय नहीं होना चाहिए।
केसीसीबी के पूर्व अध्यक्ष की याचिका खारिज
शिमला — कांगड़ा सेंट्रल सहकारी बैंक के निदेशक मंडल को भंग करने के रजिस्ट्रार के निर्णय पर हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा पारित आदेश राजनीतिक दबाव का परिणाम नहीं है। लिहाजा पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिपहिया द्वारा याचिका को न्यायमूति संजय करोल और संदीप शर्मा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। सिपहिया ने याचिका दायर का इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय बताया था ।
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Courtsey: Divya Himachal
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