शिमला — ऐतिहासिक गेयटी में लगी प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित प्रदर्शनी में प्रदेश के चित्रकारों को एक अलग मंच प्रदान करने का प्रयास इस चित्रकला प्रदर्शनी के माध्यम से किया गया है। प्रदर्शनी सामाजिक मूल्यों पर आधारित है। इसलिए इसे देखने के लिए दर्शकों की भीड़ गेयटी में उमड़ रही है। जुब्बल के कलाकार डा. भादर सिंह ने अपने चित्रों में ग्रामीण परिवेश की वह झलक प्रदर्शित की है,जिससे आज की युवा पीढ़ी एक बार फिर से अपने गांव से जुड़ सके और वहां के परिवेश को आसानी से समझ सके। चित्रकार ने अपने चित्रों में आध्यात्मिकता को जोड़ने के लिए महात्मा बौद्ध के चित्रों को भी शामिल किया है। भादर सिंह का कहना है कि इनसान चाहे जिस भी मुकाम पर पहुंच जाए, लेकिन जो सुख उसे गांवों में मिलता है वह चकाचौंध भरे जीवन में नहीं मिलता है। अपने इन चित्रों के माध्यम से वह समाज में इस संदेश को पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं,जो संदेश आम जन तक नहीं पहुंच पा रहा है। उनका मानना है कि चित्रों में अभिव्यक्ति ज्यादा होती है। इसके माध्यम से लोगों तक वह बात पहुंचाई जा सकती है,जो आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। प्रदर्शनी में कुल 56 चित्रों को शामिल किया गया है। इन सभी चित्रों में अलग-अलग आकार और युगों की घंटियों को हिमाचली संस्कृति और दैवीय आस्था के साथ बखूबी रंगों के माध्यम से जोड़ा गया है।
पूरी खबर पढ़े >>
source: DivyaHimachal
No comments:
Post a Comment