नारकंडा — सरकारी एजेंसियों द्वारा इस वर्ष लगाया गया सेब की पैदावार का आकलन बिलकुल गलत साबित हुआ है। जाहिर तौर पर सरकारी एजेंसियों व उद्यान विभाग द्वारा इस वर्ष सेब की भारी पैदावार का आकलन किया था और प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ से अधिक सेब की पेटियों का आंकलन किया था, जो बिलकुल गलत साबित हुआ। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस वर्ष प्रदेश में सेब की सामान्य फसल थी और लगभग तीन करोड़ से कुछ अधिक सेब की पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में पहुंची हैं। इस मामले को लेकर बागबानों ने सरकारी एजेंसियों पर आरोप लगाया है कि सरकारी एजेंसियों व संबंधित विभाग के अधिकारियों ने शिमला में बैठकर सेब की भारी पैदावार का झूठा आकलन लगाया है, जिसके चलते बागबानों ने भारी रोष व्यक्त किया है। सेब उत्पादकों का कहना है कि सेब की पैदावार का झूठा आकलन लगाने से उनका हर प्रकार से आर्थिक शोषण हुआ है। मौके पर जाकर सेब की पैदावार का सही आंकलन लगाया होता तो मंडियों में उनके सेब को अच्छे दाम मिलते। जाहिर तौर पर इस वर्ष प्रदेश में सेब की जहां सामान्य फसल थी, वहीं बागबानों को सेब के बहुत कम दाम मिले, जिसका मुख्य कारण सरकारी एजेंसियों द्वारा सेब की पैदावार का गलत आकलन लगाना माना जा रहा है। इस गलत आकलन की वजह से बागबानों का हर तरफ से शोषण हुआ है। आढ़तियों द्वारा जहां मनमर्जी से कम दाम पर बागबानों का सेब बेचा, वहीं कार्टन ट्रे की कीमत में बढ़ोतरी होना भी इसका मुख्य कारण रहा है। इसके अलावा सरकारी एजेंसियों द्वारा सेब की भारी पैदावार का गलत आकलन लगाने की वजह से जहां वाहन चालकों ने मनमर्जी से बागबानों से भाड़ा वसूला। बागबानों का कहना है कि यह सब बागबानों के हित के लिए सरकार द्वारा विशेष नीति न होने के कारण हुआ है। उधर, बागबानों का कहना है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा सेब की भारी पैदावार का झूठा आकलन लगाने से जहां उनका आर्थिक नुकसान हुआ है, वहीं इस मामले को लेकर वे न्यायालय में जाने पर भी विचार कर रहे हैं।
source: DivyaHimachal www.divyahimachal.com
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