संवाद सहयोगी, मंडी : जीवन को सुखमय बनाने के लिए यही सूत्र है कि हम ढालना नहीं अपितु ढलना सीखें। नदी को यदि सागर से मिलना है तो वह जैसा भी रास्ता हो, उसे अपना समझकर उसमें ढल जाती है। यह बात मंडी के प्रसिद्ध गणपति मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन कथावाचक वृंदावन के दीक्षित भागवताचार्य पंडित पंकज शर्मा ने कही।
उन्होंने कहा कि हम जो कथाएं सुनते हैं, उनका मुख्य उद्देश्य मात्र सूचना व वाह-वाह करना नहीं अपितु अपने अंतकरण में छिपे अहं को मिटाना है। भगवान के आश्रय में जाने के संब
source: Jagran
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