शिमला — संघ लोक सेवा आयोग के प्रशासनिक सेवाओं में हिंदी की प्रासंगिक्ता घटाने व अंग्रेजी को प्राथमिक्ता देने के मुद्दे को लेकर एबीवीपी ने बुधवार को एचपीयू में प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र की यूपीए सकरार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महामंत्री अजय ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय भारतीय संस्कृति व भारतीय सोच के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि इस के बड़े घातक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि इस से गांव व शहरों के बीच का अंतर बढे़गा। उन्होंने कहा कि ज्ञान किसी भाषा से बंधा नहीं होता है। हिंदी भाषा को माध्यम मानकर आज भी सबसे ज्यादा परीक्षार्थी होते हैं। परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों में भी यह प्रतिशतता अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी को महत्त्व देने का कारण यह तो नहीं कि हिंदी भाषा के विद्यार्थी इससे वंचित रह जाएं। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त करके केवल भाषा विषय पास मार्क्स की व्यवस्था की जाए और अंग्रेजी के अंकों मुख्य परीक्षा के साथ न जोड़ा जाए। मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्र-1 में अन्य भारतीय भाषाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए, अभ्यर्थियों को परीक्षा में स्वेच्छा से भाषा चुनने का अधिकार दिया जाए, एबीवीपी ने केंद्र सरकार व यूपीएससी से मांग की है कि अंग्रेजी की अनिवार्यता एवं महत्त्व को समाप्त करते हुए पूराने तरीके से परीक्षाएं करवाई जाए, ताकि भाषा के आधार पर किसी से भेदभाव न हो सके।
source: DivyaHimachal
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