सुंदरनगर — राजकीय जवाहर लाल नेहरू इंजीनियरिंग कालेज के मेकेनिकल विभाग तथा सेंटर फॉर सस्टेनेबल डिवेलपमेंट के संयुक्त तत्त्वावधान में नवीकरण ऊर्जा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला टैक्यूइप दो के अंतर्गत एनटीपीसी, एसीसी एवं कल्कोल्क के सहयोग से आयोजित की गई। इस कार्यशाला में उत्तर भारत के विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों, पीजी एवं रिसर्च विद्यार्थियों व विभिन्न कंपनियों के 70 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर एनआईटी हमीरपुर के प्रबंधक प्रो. रजनीश श्रीवास्तव ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि तकनीकी शिक्षा निदेशक विजय चंदन बतौर विशिष्ट अतिथि इस दौरान मौजूद रहे। इस अवसर पर जेपी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सुधीर स्याल ने अपने संबोधन में घर के रसोई के कचरे से बायोगैस बनाने के तरीके से रू-ब-रू करवाया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से शहरों में कूड़ा प्रबंधन में तो सहायता मिलेगी ही, बल्कि एक परिवार साल भर में चार से पांच रसोई गैस के सिलेंडर भी बचा पाएगा। आईआईटी दिल्ली के प्रो. चंद्रशेखर ने हॉलोग्राफिक सोलर कंन्सटरेटर तकनीक द्वारा सोलर सेल की उत्पादकता बढ़ाने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से सौर ऊर्जा के विभिन्न घटकों को अलग कर सौर ऊर्जा की उत्पादकता 35 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने सौर ऊर्जा से पराबेंगनी प्रकाश को अलग करने की तकनीक पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन किरणों को अलग करके पानी में जीवाणुओं को मारने के लिए किया जा सकता है। एनआईटी हमीरपुर से प्रो. एसएस चंदेल ने हिमाचल में सौर एवं पवन ऊर्जा की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। इससे न केवल चूल्हों में लकड़ी की खपत एक चौथाई हो जाएगी, बल्कि महिलाओं को रसोई में प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। इस अवसर पर इंजीनियरिंग कालेज के प्रिंसीपल प्रो. आरएल शर्मा ने स्त्रोत व्यक्तियों, प्रतिभागियों एवं प्रबंधन कमेटी का कार्यशाला के सफल आयोजन में सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।
source: DivyaHimachal
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