हमीरपुर — प्रशासन की नीतियां और नियम लोगों के लिए कुछ ओर हैं तथा खुद के कुछ और। यदि लोग नियमांे की अवहेलना करते हैं तो उन पर प्रशासन अपना डंडा चलाता है, लेकिन जब प्रशासन ही खुद नियमों को ताक पर रखे, तो उन्हें पूछने वाला कौन है? प्रदेश सरकार द्वारा आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए प्रत्येक सरकारी व गैर सरकारी भवन में अग्निशामक लगाने के सख्त नियम बनाए गए हैं, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि हमीरपुर प्रशासन ही इन नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है। उपायुक्त कार्यालय भवन में करीब एक वर्ष से अग्निशामक यंत्र नहीं लगाए गए हैं। अब इसे जिला प्रशासन की लापरवाही कहें या फिर बजट की कमी, जिसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री के अपने ही गृह जिला में ही स्थित मिनी सचिवालय में आगजनी की घटना से निपटने के कोई पुख्ता इंतजाम ही नहीं है। मिनी सचिवालय में काम करने वाले कर्मचारियों से लेकर आलाधिकारियों की जिंदगियों से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। मिनी सचिवालय में लगभग सभी विभागों के कार्यालय मौजूद हैं, जिनमें से केवल पुलिस विभाग की बिल्डिंग को छोड़कर और कहीं पर भी अग्निशामक नजर नहीं आते हैं। उक्त भवन में यदि कहीं पर कोई उपकरण लगा भी है तो वह भी पूरी तरह से कंडम हो चुका है। आलम तो यह है कि उपायुक्त के कार्यालय के ठीक सामने भी आग बुझाने का जो सिलेंडर लगा है, वह पूरी तरह से बेकार हो चुका है।मिनी सचिवालय में सभी विभागों के जिला स्तरीय मुखिया बैठते हैं। उल्लेखनीय है कि गत चार दिनों पहले दमकल विभाग ने मिनी सचिवालय का निरीक्षण किया है, यहां बताते चलें कि ऐसा ही निरीक्षण गत वर्ष की 26 मार्च को भी मिनी सचिवालय का किया था। इस दौरान भवन में आग बुझाने के जितने भी उपकरण लगे हुए पाए गए थेे, उन्हें विभाग ने पूरी तरह से कंडम घोषित किया था और विभाग ने अपने आलाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट तैयार करके भेजी थी। तब से लेकर अभी तक करीब एक वर्ष का समय बीत चुका है और उपायुक्त भवन में अग्निशामक नहीं लगे हैं। दमकन विभाग स्टेशन अधिकारी देवी चंद ने निरीक्षण करने की पुष्टि की है। सूत्रों के मुताबिक उक्त यंत्रों को लगाने के लिए फंड की कमी आड़े आ रही है। इस संदर्भ में उपायुक्त आशीष सिंहमार ने इस मसले पर खेद जताते हुए कहा है कि भवन में जल्दी ही अग्रिशामक लगवाए जाएंगे।
source: DivyaHimachal
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